निज संवाददाता,गोपालगंज: कहते हैं जल ही जीवन है। लेकिन जीवनदायनी जल रूपी अमृत कब जहर बन जाए, कहा नहीं जा सकता। तभी तो जल संरक्षण से लेकर पानी की शुद्धा परखने के लिए सरकार ने कई उपक्रम खोल रखे हैं।
समय-समय पर जल की शुद्धा जांचने का प्रावधान है और जब भी कहीं सरकारी चापाकल लगे, उसके पानी की शुद्धता जांचने का नियम भी है। लेकिन इस जिले में न तो नियम की किसी को चिंता है और न ही जल जाच को बने प्रयोगशाला की फिक्र। ऐसे में यहां के निवासी जल पी रहे हैं या जहर, यह उनकी किस्मत जानें।
सदर अस्पताल में पीएचईडी विभाग के तहत काम करने वाले जिला जल जांच प्रयोगशाला तो खोला गया है। लेकिन यह प्रयोगशाला खुद अपनी बदहाली का रोना रो रहा है। इस प्रयोगशाला में न तो पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली का कनेक्शन ही मिला है। ऐसे में यहां रखे गए जल जांच के उपकरण, महज यह एहसास करने के लिए रह गए हैं कि यहां भी प्रयोगशाला है। वैसे यह प्रयोगशाला अपने स्थापना के समय से ही समस्याओं से जूझ रहा है। पहले पीएचईडी कार्यालय में ही एक कमरे में यह प्रयोगशाला चलता था। तब जगह की कमी से जांच कार्य में बाधा आती थी। ऐसे में सदर अस्पताल परिसर में लाखों खर्च कर भवन बनाया गया और प्रयोगशाला यहां स्थानांतरित भी कर दिया गया। लेकिन सुविधाओं के अभाव में जल की शुद्धा की जांच का कार्य काफी समय से बाधित है। ऐसे में अपने हलक की प्यास बुझा रहे लोग, पीने लायक पानी ही पी रहे हैं कि नहीं, यह भगवान भरोसे ही है। वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर विभागीय पदाधिकारी कहते हैं कि प्रयोगशाला की कमियां जल्द ही दूर कर दी जाएंगी। वैसे वह यह भी कहने से नहीं चूकते की जिले में पानी की शुद्धता मानक के अनुरूप है।
समय-समय पर जल की शुद्धा जांचने का प्रावधान है और जब भी कहीं सरकारी चापाकल लगे, उसके पानी की शुद्धता जांचने का नियम भी है। लेकिन इस जिले में न तो नियम की किसी को चिंता है और न ही जल जाच को बने प्रयोगशाला की फिक्र। ऐसे में यहां के निवासी जल पी रहे हैं या जहर, यह उनकी किस्मत जानें।
सदर अस्पताल में पीएचईडी विभाग के तहत काम करने वाले जिला जल जांच प्रयोगशाला तो खोला गया है। लेकिन यह प्रयोगशाला खुद अपनी बदहाली का रोना रो रहा है। इस प्रयोगशाला में न तो पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली का कनेक्शन ही मिला है। ऐसे में यहां रखे गए जल जांच के उपकरण, महज यह एहसास करने के लिए रह गए हैं कि यहां भी प्रयोगशाला है। वैसे यह प्रयोगशाला अपने स्थापना के समय से ही समस्याओं से जूझ रहा है। पहले पीएचईडी कार्यालय में ही एक कमरे में यह प्रयोगशाला चलता था। तब जगह की कमी से जांच कार्य में बाधा आती थी। ऐसे में सदर अस्पताल परिसर में लाखों खर्च कर भवन बनाया गया और प्रयोगशाला यहां स्थानांतरित भी कर दिया गया। लेकिन सुविधाओं के अभाव में जल की शुद्धा की जांच का कार्य काफी समय से बाधित है। ऐसे में अपने हलक की प्यास बुझा रहे लोग, पीने लायक पानी ही पी रहे हैं कि नहीं, यह भगवान भरोसे ही है। वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर विभागीय पदाधिकारी कहते हैं कि प्रयोगशाला की कमियां जल्द ही दूर कर दी जाएंगी। वैसे वह यह भी कहने से नहीं चूकते की जिले में पानी की शुद्धता मानक के अनुरूप है।
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Saturday, February 26, 2011 |



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